Wednesday, 15 March 2017

चुनाव समीक्षा

चुनाव समीक्षा।

क्यों ना आज अभी अभी सम्पन्न हुए कुछ स्थानीय निकाय और कुछ विधानसभा चुनावों की चर्चा कर ली जाये।

हुआ कुछ यूँ की विमुद्रिकरण के बाद देश में जितने भी छोटे बड़े चुनाव हुए उन सब चुनावो में उन लोगो को हार का मुहं देखना पड़ा जो विमुद्रिकरण का विरोध कर रहे थे। इस कटू सत्य से किसीको मुहं नही मोड़ना चाहिए।

यद्धपि विमुद्रिकरण इन चुनावों में एक महत्वपूर्ण पहलू रहा हार और जीत तय करने में तथापि यह एकमात्र पहलू नही था।

थोड़ा विश्लेषण करने से ज्ञात होता है कि इन चुनावों में कई और पहलू भी थे जिनका पूर्ण प्रभाव रहा।
इनमे निसंदेह सर्वप्रथम है देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र भाई मोदी जी की स्वच्छ और विकासपुरुष की छवि जो समयानुसार सर्जिकल स्ट्राइक और विमुद्रिकरण जैसे कठोर निर्णय लेने से भी नही हिचके औ अपने सबका साथ सबका विकास के नारे पर पूर्ण रूप से खरे उतरते हुए देश की जनता इनको महसूस कर रही है।
यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू रहा जिसकी वजह से महाराष्ट्र हो उत्तरप्रदेश हो या उत्तराखण्ड हर क्षेत्र की जनता ने प्रधानमंत्री जी की इस छवि को सराहा है और अपना प्रधानमंत्री के प्रति यह प्रेम उनके पक्ष में मतदान कर व्यक्त भी किया है।

इन चुनावों का द्वितीय महत्वपूर्ण पहलू रहा क्षत विक्षत खण्ड विखण्ड अपराध और भृष्टाचार के आरोपो से आकंठ डुबा सम्पूर्ण विपक्ष।
अब चाहे कांग्रेस हो या महाराष्ट्र की राष्ट्रवादी कांग्रेस और उत्तरप्रदेश में सपा हो या बसपा हर  विपक्षी दल का शीर्ष नेतृत्व और तमाम छोटे बड़े नेता अपराधों और भृष्टाचार के आरोपो से आकंठ डूबे हुए है और अपने प्रदीर्घ शासनकाल में इन नेताओं ने जनता के प्रति उदासीन रवैया रखते हुए विकास और जनहित के कार्यो को नजरअंदाज कर अपराधों को बढ़ावा दिया प्रतीत हो रहा है।
और तो और कई दलो के पास तो कोई सक्षम नेतृत्व भी नही है और इन दलों को अधिकतर अपने ही शीर्ष नेतृत्व के कारण जनता में हंसी का पात्र बनना पड़ रहा है।

उदाहरण के तौर पर आप राहुल गांधी को देख सकते है।

कुछ दलो की अराजक और सुदूर वामपंथी सोच जो नक्सलवाद सी प्रतीत होती है को भी जनता ने चुनावो में साफ़ अस्वीकार कर दिया उदाहरण के लिये पंजाब और गोवा में जो हश्र आम आदमी पार्टी का हुआ।

तीसरा पहलु है स्थानीय नेतृत्व जैसे महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री श्री देवेंद्र फडणवीस जी ने सभी विपरीत परिस्थितयो के पश्चात भी स्वयं को एक कुशल प्रशासक सुलझा हुआ राजनेता और सर्व समावेशी व्यक्तित्व के तौर पर प्रस्तुत कर अपने कार्यो और व्यवहार कुशलता से स्वयं को जनता के बीच स्थापित भी किया है। जिसका सम्पूर्ण लाभ भाजपा को चुनावो में हुआ है।

वहीँ दूसरी और विपक्ष के पास कुशल स्थानीय नेतृत्व का भी पूर्ण अभाव प्रदर्शित हो रहा है। जैसे उत्तराखण्ड में हरीश रावत जी और उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादवजी। जिन्होंने जनहित कार्यो से अधिक अपनी राजनीति चमकाने पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया।

अंत में एक बात-: इसे इन सभी विपक्षी नेताओ का दुर्भाग्य और देश का सौभाग्य ही कहूंगा कि इन नकारा अक्षम विपक्षी नेताओं की फ़ौज का मुकाबला एक सम्पूर्ण सक्षम सर्वश्व समाहित नेता के रूप में स्थापित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रभाई मोदी जी से है।

धन्यवाद।

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