Sunday, 28 May 2017

"गौ प्राणभिक्षा" एक अनूठा उपक्रम।

"गौ प्राण भिक्षा" एक अनूठा अभियान

नमस्कार मित्रो।
अभी कुछ दिनों पूर्व सोशल मीडिया पर विशेष कर ट्विटर पर एक # hastag की तरफ ध्यान आकर्षित हुआ और वह #hastag था #GiveUpAMeal.

सोशल मीडिया के कुछ मित्र इस #hastag का प्रचार प्रसार बड़े जोर शोर से कर रहे थे तो सोचा जरूर कुछ महत्वपूर्ण होगा।
इसी विचार से इसकी तह तक जाने की जिज्ञासा बढ़ी।

जब इस विषय की गहन जानकारी ली तो एक अत्यंत मर्मस्पर्शी कहानी से साक्षात्कार हुआ और उक्त # hastag का प्रयोजन भी समझ मे आया।

हुआ कुछ यूँ की कर्नाटक राज्य में बंगलुरु के निकट "माले महादेश्वर" नामक पवित्र पहाड़ी स्थित है जो घने जंगलों से आच्छादित है।

आसपास के इलाके का पशुधन विशेषकर गौवंश प्राचीनकाल से उक्त जंगल मे करने या यूं कहिये अपनी उदरपूर्ति के लिए जय करते है।

अभी कुछ दिन पहले अपने एक अप्रासंगिक और अव्यवहारिक निर्णय अंतर्गत कर्नाटक राज्य की क्रूर सरकार ने उक्त सम्पूर्ण जंगल की घेराबंदी करवाकर बाड़ लगवा दी जिसके चलते आसपास के निवासियों की प्राण प्रिय गौधन गौमाताओ का जंगल मे प्रवेश रुक गया और सम्पूर्ण इलाके के गौ वंश के लिए भूख से मरने की स्थिति उत्पन्न हो गयी।

इस भयावह परिस्थिति को देखकर "श्री रामचंद्रपुरा मठ" के "जगद्गुरु शंकराचार्य श्री राघवेश्वर भारती स्वामी जी"गौभक्त मन कृन्दन कर उठा और उन्होंने कर्नाटक सरकार के इस क्रूरतम निर्णय के विरोध में आंदोलन प्रदर्शन भी किये परन्तु कर्नाटक की निर्दयी सरकार के कानों पर जूँ तक नही रेंगी।

किसी भी बात का कोई असर न होता देखर दिन प्रतिदिन गौमाता की बढ़ती मृत्युदर को ध्यान में रखते कर्नाटक की निर्दयी सरकार के भरोसे ना बैठते हुए पूज्य स्वामीजी ने एक निर्णय लिया कि जबतक उचित और स्थायी प्रबन्ध नही हो जाता "रामचंद्रपुरा मठ" इन गौमाताओं के खाद्य चारे का प्रबंध करेंगे।

इसी अभियान अंतर्गत पवित्र त्योहार उगाड़ी के पावन दिवस 29 मार्च 2017 को पूज्य स्वामीजी ने सम्पूर्ण देश वासियों से गौसेवा के इस शुभकार्य मे सहयोग का आव्हान किया और हजारों की संख्या में गौवंश प्राण रक्षा के इस अभियान को "गौ प्राण भिक्षा" नाम दिया।

पूज्य स्वामीजी के इस मार्मिक आव्हान को सम्पूर्ण देश के गौ भक्तो ने पूर्ण हृदय से उचित प्रतिसाद दिया और अभियान में सहयोग के लिए आगे आये।

कई गौ भक्तो ने अपने खर्चो में कटौती की कइयों ने सप्ताह में एक समय भोजन त्याग किया। जिस भी तरीके से हो सके बचत कर गौ प्राण भिक्षा के इस पावन कार्य मे सहयोगी बनने लगे।
आश्चर्य तो तब हुआ जब कई गौ भक्तो ने अपने जीवन की बहुमूल्य बचत भी गौसेवा के इस पुण्य कार्य मे अर्पण की।

इतना सब कुछ होता देख सोशल मीडिया भी इस पवित्र कार्य से अछूता नही रह पाया और अपना बहुमूल्य योगदान देते हुए #GiveUpAMeal इस hastag के माध्यम से एक प्रभावशाली अभियान चलाया और देश ही नही अपितु सम्पूर्ण विश्व मे बैठे गौ भक्तो को इस पवित्र कार्य मे सहयोग के लिए प्रेरित किया। सोशल मीडिया पर मेरे मित्र श्री गिरीश अल्वा जी @girishalwa ने अपनी सम्पूर्ण टीम के साथ मिलकर प्रभावशाली नेतृत्व किया।

इन सभी गतिविधियों के चलते आज स्थिति यहाँ तक पहुंची है कि एक ट्रक भर चारे से मात्र 2 वितरण केंद्रों पर चारा पहुंचाने से शुरुआत करते हुए "रामचंद्रपुरा मठ" ने समाज के गौभक्तो के सहयोग से पिछले लगभग 35 दिनों में 15 अलग अलग वितरण केंद्रों पर लगभग  1700 टन से अधिक खाद्य चारा गौमाताओं के लिए पहुंचाया है जिसका खर्च लगभग 3 लाख रुपये प्रतिदिन आता है।

मांग अब भी अधिक है और चारे की आपूर्ति अभी भी पूर्ण रूप से नही हो पाई है।

अगले 60 से 70 दिन तक कम से कम 8000 से 1000 टन खाद्य चारे की आवश्यकता का अनुमान है जिसकी अनुमानित लागत 3 करोड़ रुपये तक है।

कुछ गौसेवक स्वयं उत्स्फूर्त कर्नाटक की सड़कों पर भिक्षार्थी बन गौमाता के लिए भिक्षार्जन कर गौसेवा में लगे हुए है।
और अब कुछ राजनैतिक व्यक्ति भी इस कार्य मे सहयोग के लिए आगे आ रहे है।

हमारे जीवन मे गौमाता का क्या महत्व है हम सब भली भांति परिचित है।

आपसब से अनुरोध है जिस प्रकार गौसेवक दिन रात एक कर कड़ी मेहनत से गौसेवा में समर्पित है उनका सहयोग करे और इस पुण्य कार्य मे सहभागी बन गौमाता का आशीर्वाद प्राप्त करें।

पूज्य राघवेश्वर भारती स्वामी जी को कोटिशः नमन।

धन्यवाद।